पंचायतीराज विभाग उत्तर प्रदेश

प्लाट संख्या 6,लोहिया भवन,सेक्टर-ई अलीगंज लखनऊ (0522) 232-2924

समिति परिचय

विधान मण्डलों के बहुआयामी कार्य एवं सरकार के कार्य–कलापों की जटिलताओं को दृष्टिगत रखते हुए राज्य विधान मण्डल के लिए यह सम्भव नहीं है कि वह सदन के अन्दर विधायन एवं अन्य महत्वपूर्ण कार्यों का सूक्ष्म परीक्षण कर सकें। राज्य की संचित निधि से धनराशि आहरित किये जाने की अपनी स्वीकृति के अन्तर्गत किये गये व्यय पर प्रभावी नियन्त्रण की आवश्यकता होती है। संविधान के अनुच्छेद 174(2) के अधीन विधान मण्डल के प्रति मंत्रि–परिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व और कार्यपालिका के कृत्यों पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए संविधान के अनुच्छेद–208 के अन्तर्गत बनायी गई उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली, 1958 के विभिन्न स्थाई प्रकृति की वित्तीय एवं गैर वित्तीय समितियों का गठन किया जाता है।

वित्तीय समितियों में लोक लेखा समिति, सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति, प्रदेश के स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जांच सम्बन्धी समिति तथा प्राक्कलन समिति मुख्य हैं। इसके अतिरिक्त उक्त नियमावली के अन्तर्गत आवश्यकतानुसार तदर्थ समितियों का भी गठन किये जाने का प्रावधान है। वास्तव में संसदीय समितियां सदन की आंख और कान का कार्य करती हैं और उन्ही के माध्यम से सदन सत्र में न रहते हुये भी निरन्तर कार्य करता रहता है प्रक्रिया नियमावली में जिन समितियों के गठन का प्रावधान है उनका तथा उनके कृत्यों आदि का विवरण आगे अंकित है।

समितियों की प्रक्रिया

क्रं सं नाम विवरण
200 सदन की समितियों की नियुक्ति

200- सदन की समितियों की नियुक्ति - (1) प्रत्येक साधारण निर्वाचन के उपरान्त प्रथम सत्र के प्रारम्भ होने पर और तदुपरान्त प्रत्येक वित्तीय वर्ष के पूर्व या समय-समय पर जब कभी अन्यथा अवसर उत्पन्न हो, विभिन्न समितियां विशिष्ट या सामान्य प्रयोजनों के लिये सदन द्वारा निर्वाचित या गठित की जायेंगी या अध्यक्ष द्वारा नाम-निर्देशित होंगी।

परन्तु यह कि कोई सदस्य किसी समिति में तब तक नियुक्त नहीं किये जायेंगे जब तक कि वे उस समिति में कार्य करने के लिये सहमत न हों।

(2) समिति में आकस्मिक रिक्तियों की पूर्ति, यथास्थिति, सदन द्वारा निर्वाचन या नियुक्ति अथवा अध्यक्ष द्वारा नाम-निर्देशन करके की जायेगी। जो सदस्य ऐसी रिक्तियों की पूर्ति के लिये निर्वाचित, नियुक्त अथवा नाम-निर्देशित हों उस कालावधि के असमाप्त भाग तक पद धारण करेंगे जिसके लिये वह सदस्य जिसके स्थान पर वे निर्वाचित, नियुक्त अथवा नाम-निर्देशित किये गये हैं पद धारण करते।

परन्तु यह कि आकस्मिक रिक्तियों की पूर्ति के अभाव में समिति की कार्यवाही न तो अनियमित और ना ही बाधित मानी जायेगी।

200-क समिति की सदस्यता पर आपत्ति

(3) समिति की सदस्यता पर आपत्ति- जब किसी सदस्य के किसी समिति में सम्मिलित किये जाने पर इस आधार पर आपत्ति की जाये कि उस सदस्य का ऐसे घनिष्ट प्रकार का वैयक्तिक आर्थिक या प्रत्यक्ष हित है कि उससे समिति द्वारा विचारणीय विषयों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है तो प्रक्रिया निम्नलिखित होगी:-

क) जिस सदस्य ने आपत्ति की हो वह अपनी आपत्ति का आधार तथा समिति के सामने आने वाले विषयों में प्रस्‍तावित सदस्य के आरोपित हित के स्वरूप का चाहे वह वैयक्तिक आर्थिक या प्रत्यक्ष हो सुतथ्यत या कथन करेगा।

ख) आपत्ति का कथन किये जाने के बाद अध्यक्ष समिति के लिये प्रस्‍तावित सदस्य को जिसके विरुद्ध आपत्ति की गयी हो स्थिति बताने के लिये अवसर देगा।

ग) यदि तथ्यों के सम्बन्ध में विवाद हो तो अध्यक्ष आपत्ति करने वाले सदस्य तथा उस सदस्य से जिसकी समिति में नियुक्ति के विरुद्ध आपत्ति की गयी हो अपने-अपने मामले के समर्थन में लिखितया अन्य साक्ष्य पेश करने के लिये कह सकेगा।

घ) जब अध्यक्ष ने अपने समक्ष इस तरह दिये गये साक्ष्य पर विचार कर लिया हो तो उसके बाद वह अपना विनिश्चय देगा जो अन्तिम होगा।

ङ) जब तक अध्यक्ष ने अपना विनिश्चय न दिया हो वह सदस्य जिसकी समिति में नियुक्ति के विरुद्ध आपत्ति की गयी हो समिति का सदस्य बना रहेगा यदि वह निर्वाचित या नाम-निर्देशित हो गया हो और चर्चा में भाग लेगा किन्तु उसे मत देने का हक नहीं होगा।

च) यदि अध्यक्ष यह विनिश्चय करें कि जिस सदस्य की नियुक्ति के विरुद्ध आपत्ति की गयी है उसका समिति के समक्ष विचाराधीन विषय में कोई वैयक्तिक आर्थिक या प्रत्यक्ष हित है तो उसकी समिति की सदस्यता तुरन्त समाप्त हो जायेगी।

परन्तु यह कि समिति की जिन बैठकों में ऐसा सदस्य उपस्थित था उनकी कार्यवाही अध्यक्ष के विनिश्चय द्वारा किसी तरह प्रभावित नहीं होगी।

व्याख्या- इस नियम के प्रयोजनों के लिये सदस्य का हित प्रत्यक्ष वैयक्तिक या आर्थिक होना चाहिए। वह हित जन साधारण या उसके किसी वर्ग या भाग के साथ सम्मिलित रूप में या राज्य की नीति के किसी विषय में न होकर उस व्यक्ति का पृथक रूप से होना चाहिए।

201 समिति का सभापति

201- समिति का सभापति - (1) प्रत्येक समिति का सभापति अध्यक्ष द्वारा समिति के सदस्यों में से नियुक्त किया जायेगा।

परन्तु य‍ि कि यदि उपाध्यक्ष समिति के सदस्य हों तो वे समिति के पदेन सभापति होंगे।

(2) यदि सभापति किसी कारण से कार्य करने में असमर्थ हों अथवा उनका पद रिक्त हो तो अध्यक्ष उनके स्थान में अन्य सभापति नियुक्ति कर सकेंगे।

(3) यदि समिति के सभापति समिति के किसी उपवेशन से अनुपस्थित हों तो समिति किसी अन्य सदस्य को उस बैठक के सभापति का कार्य करने के लिये निर्वाचित कर सकेगी। यदि ऐसा निर्वाचन न हो सके, तो अध्‍यक्ष द्वारा संबंधित उपवेशन के लिये समिति के किसी अन्‍य सदस्‍य को सभापति नामित किया जा सकेगा।

(4) उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने की दशा में जिन समितियों में उपाध्यक्ष सभापति होते हैैं उन समितियों को अध्यक्ष द्वारा अपने अथवा अन्य समितियों के सभापतियों के सभापतित्व में सम्बद् किया जा सकता है।

202 गणपूर्ति

202- गणपूर्ति - (1) किसी समिति का उपवेशन गठित करने के लिये गणपूर्ति समिति के कुल सदस्यों की संख्या से तृतीयांश से अन्यून होगी जब तक कि इन नियमों में अन्यथा उपबन्धित न हो।

(2) समिति के उपवेशन के लिये निर्धारित किसी समय पर या उपवेशन के दौरान किसी समय पर यदि गणपूर्ति न हो तो सभापति उपवेशन को आधे घण्टे के लिये स्थगित कर देंगे। समिति के पुनः समवेत होने पर उपवेशन के लिये गणपूर्ति कुल सदस्यों की संख्या की पंचमांश से अन्यून होगी। यदि पुनः समवेत उपवेशन में उपस्थित सदस्यों की संख्या समिति की कुल सदस्य संख्या के पंचमांश से भी न्यून रहे तो उपवेशन को किसी भावी तिथि के लिये स्थगित कर दिया जायेगा।

(3) जब समिति उप नियम (2) के अन्तर्गत समिति के उपवेशन के लिये निर्धारित दो लगातार दिनांकों पर स्थगित हो चुकी हो तो सभापति द्वारा इस तथ्‍य की सूचना सदन को दी जायेगी लेकिन सदन उपवेशन मे न हो तो सभापति द्वारा इस तथ्‍य की सूचना अध्‍यक्ष को दी जायेगी।

परन्तु यह कि जब समिति अध्यक्ष द्वारा नियुक्त की गई हो तो सभापति द्वारा ऐसे स्‍थगन के त‍थ्‍य की सूचना अध्‍यक्ष को दी जायेगी।

(4) उपरोक्‍तानुसार सूचना प्राप्‍त होने पर संबंधित प्रतिवेदन यथास्थिति, सदन या अध्यक्ष यह विनिश्चित करेंगे कि आगे क्या कार्यवाही की जाय।

203 समिति के उपवेशनों से अनुपस्थित सदस्यों को हटाया जाना तथा उनके स्थान की पूर्ति

203- समिति के उपवेशनों से अनुपस्थित सदस्यों को हटाया जाना तथा उनके स्थान की पूर्ति - (1) यदि कोई सदस्य किसी समिति के लगातार 3 उपवेशनों से सभापति की अनुज्ञा के बिना अनुपस्थित रहें तो ऐसे सदस्य को स्पष्टीकरण देने का अवसर देने के उपरान्त उस समिति से उनकी सदस्यता अध्यक्ष की आज्ञा से समाप्त की जा सकेगी और समिति में उनका स्थान अध्यक्ष की ऐसी आज्ञा के दिनांक से रिक्त घोषित किया जा सकेगा।

(2) नियम 200 के उप-नियम (2) में किसी बात के होते हुए भी उप-नियम (1) के अन्तर्गत रिक्त स्थान की पूर्ति अध्यक्ष द्वारा किसी अन्य सदस्य को नाम-निर्देशित करके की जा सकेगी।

प्रथम- स्पष्टीकरण- इस नियम के अधीन उपवेशनों की गणना हेतु लखनऊ से बाहर आयोजित उपवेशनों को सम्मिलित नहीं किया जायेगा।

द्वितीय स्पष्टीकरण- यदि कोई सदस्य समिति के उपवेशन में भाग लेने हेतु लखनऊ आये हों किन्तु उपवेशन में भाग न ले सके हों और लखनऊ आने की लिखित सूचना वह प्रमुख सचिव को उपवेशन की तिथि को ही उपलब्ध करा दें तो इस नियम के प्रयोजन के लिये उन्हें उक्त तिथि को अनुपस्थित नहीं समझा जायेगा।

204 सदस्य का त्याग-पत्र

204- सदस्य का त्याग-पत्र - (1) कोई सदस्य समिति में अपने स्थान को निम्‍नलिखित प्रपत्र में स्‍वहस्‍ताक्षरित पत्र द्वारा त्‍याग कर सकेगा और त्‍याग पत्र अध्‍यक्ष को संबोधित होगा:

'' सेवा में,

अध्‍यक्ष,

विधान सभा,

उत्तर प्रदेश,

महोदय,

मैं---------- (सदस्‍य का नाम) --- उतद्द्वारा दिनांक -------------से (समिति का नाम) की सदस्‍यता से पदत्‍याग करता हूॅ जो (दिनांक) ----------- से प्रभावी होगा।

भवदीय

स्‍थान --- ---- दिनांक -------------------- (सदस्‍य का नाम)''

(2) य‍ह पदत्‍याग त्‍यागपत्र में उल्लिखित तिथि से प्रभावी होगा।

(3) यदि त्‍यागपत्र से पदत्‍याग के प्रभावी होने की तिथि का उल्‍लेख नही किया गया है, तो यह पदत्‍याग की तिथि से प्रभावी होगा।

(4) यदि त्‍यागपत्र पर कोई तिथि नही है, तो यह पदत्‍याग विधान सभा सचिवालय में त्‍यागपत्र की प्राप्ति से प्रभावी होगा।

205 समिति की पदावधि

205- समिति की पदावधि - इनमें से प्रत्येक समिति के सदस्यों की पदावधि एक वित्तीय वर्ष होगी:

परन्तु इन नियमों के अन्तर्गत निर्वाचित या नाम-निर्देशित समितियां जब तक विशेष रूप से अन्यथा निर्दिष्ट न किया जाय, उस समय तक पद धारण करेंगी जब तक कि नई समिति नियुक्त न हो जाय।

206 समिति में मतदान

206- समिति में मतदान - (1) समिति की किसी उपवेशन में सब प्रश्‍न उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्‍यों के बहुमत से निर्धारित किये जायेगे।

(2) किसी विषय पर मतसमता की अवस्‍था में सभापति या सभापतित्‍व करने वाले व्‍यक्ति का दूसरा या निर्णायक मत होगा।

207 उप-समितियां नियुक्त करने की शक्ति

207- उप-समितियां नियुक्त करने की शक्ति - (1) इनमें से कोई भी समिति किन्हीं ऐसे विषयों की जो उसे निर्दिष्ट किये जायं जांच करने के लिए एक या अधिक उप समितियां नियुक्त कर सकेगी जिनमें से प्रत्येक को अविभक्त समिति की शक्तियां प्राप्त होंगी और ऐसी उप-समितियां के प्रतिवेदन सम्पूर्ण समिति के प्रतिवेदन समझे जायेंगे यदि वे सम्पूर्ण समिति के किसी उपवेशन में अनुमोदित हो जायं।

(2) उप-समिति के निर्देश-पत्र में अनुसंधान के लिये विषय या विषयों का स्पष्टतया उल्लेख होगा। उप-समिति के प्रतिवेदन पर सम्पूर्ण समिति द्वारा विचार किया जायेगा।

208 समिति के उपवेशन

208- समिति के उपवेशन - समिति के उपवेशन ऐसे समय और दिन में होंगे जो समिति के सभापति द्वारा निर्धारित किया जाय:

परन्तु यह कि यदि समिति का सभापति सुगमतया उपलब्ध न हो अथवा उनका पद रिक्त हो तो प्रमुख सचिव उपवेशन का दिन और समय निर्धारित कर सकेंगे।

209 समिति के उपवेशन उस समय हो सकेंगे जब सदन का उपवेशन हो रहा हो

209- समिति के उपवेशन उस समय भी हो सकेंगे जब सदन का उपवेशन हो रहा हो:

परन्तु यह कि सदन में विभाजन की मांग होने पर समिति के सभापति समिति की कार्यवाहियों को ऐसे समयतक के लिये निलम्बित कर सकेंगे जो उनकी राय में सदस्यों को विभाजन में मतदान करने का अवसर दे सकें।

210 उपवेशनों का स्थान

210- उपवेशनों का स्थान - समिति के उपवेशन विधान भवन, लखनऊ में किये जायेंगे और यदि यह आवश्यक हो जाय कि उपवेशन का स्थान विधान भवन के बाहर परिवर्तित किया जाय तो यह विषय अध्यक्ष को संदर्भित किया जायेगा जिनका विनिश्चय अन्तिम होगा।

211 साक्ष्य लेने व पत्र, अभिलेख अथवा दस्तावेज मांगने की शक्ति

(1) किसी साक्षी को प्रमुख सचिव के हस्ताक्षरित आदेशद्वारा आहूत किया जा सकेगा और वह ऐसे दस्तावेजों को पेश करेगा जो समिति के उपयोगके लिये आवश्यक हों।

(2) यह समिति के स्वविवेक में होगा कि वह अपने समक्ष दिये गये किसीसाक्ष्य को गुप्त या गोपनीय समझे।

(3) समिति के समक्ष रखा गया कोई दस्तावेज समिति के संज्ञान और अनुमोदन केबिना न तो वापस लिया जायेगा और न उसमें रूपान्तर किया जायेगा।

(4) समिति को शपथ पर साक्ष्य लेने और व्यक्तियों को उपस्थित कराने, पत्रों या अभिलेखों को प्रस्‍तुत करने की अपेक्षाकी शक्ति होगी यदि उसके कर्तव्यों का पालन करने के लिये ऐसा करना आवश्यक समझा जाय।

परन्तु य‍हकि शासन किसी दस्तावेज को पेश करने से इस आधार पर इन्कार कर सकेगा कि उसका प्रकटकिया जाना राज्य के हित तथा सुरक्षा के प्रतिकूल होगा।

परन्‍तु यह और कि यदि कोई प्रश्‍नउठता है कि किसी व्‍यक्ति या साक्ष्‍य या किसी दस्‍तावेज का पेेेश किया जाना समितिकेप्रयोजनों के लिये संगत है या नही तो वह प्रश्‍न अध्‍यक्षकी संदर्भित किया जायेगा जिनका विनिश्‍चय अंतिम होगा।

(5) यदि समिति किसी व्‍यक्ति को शपथ दिलाना चाहती है या प्रतिज्ञान करानाचाहती है तो उसका प्रारूप निम्‍नलिखित होगा:-

ईश्‍वर कीशपथ लेता/लेती हूॅ
मै अमुक सत्‍यनिष्‍ठासे प्रतिज्ञान करता/करती हॅू कि मैं इस मामले में जो साक्ष्‍य दूॅगा/दॅूगीं व सच्‍चाहोगा मैं कुछ नही छिपाऊॅगा और मेरेे साक्ष्‍य को कोई अंश झूठा नही होगा।

(6) समिति के समक्ष दिया गया समस्‍त साक्ष्‍य तब तकगोपनीय होगा जब तक समिति का प्रतिवेदन सदन में प्रस्‍तुत न कर दिया गया हो और ऐसेसाक्ष्‍य को समिति के किसी सदस्‍य या किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा तब तक प्रकाशितभी नही किया जायेगा।

परन्तु यह कि यदि समिति के विवेक में कोई साक्ष्य गोपनीय है तो वह प्रतिवेदन का अंश नहीबनेगा।

परन्‍तु यह और कि अध्‍यक्ष द्वारा अपने स्‍वविवेक का उपयोग करते समयनिदेश दिया जा सकेगा कि उसे पटल पर औपचारिक रूप से रखे जाने से पहले सदस्‍यो कोगुप्‍त रूप से उपलब्‍ध करा दिया जाये।

(7) कोई भी व्‍यक्ति, अध्‍यक्ष द्वारा दिये गयेप्राधिकार के सिवाय मौखिक या लिखित साक्ष्‍य के किसी अंश का अथवा समिति के प्रतिवेदन या उसकी कार्यवाही का जोपटल पर न रखी गयी हो निरीक्षण नही कर सकेगा।

212 पक्ष या साक्षी समिति के समक्ष उपस्थित होने के लिये अधिवक्ता नियुक्त कर सकता है

212- समिति के समक्ष उपस्थित होने के लिये अधिवक्ता नियुक्ति - समिति किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व उसके द्वारा नियुक्त तथा समिति द्वारा अनुमोदित अधिवक्ता से कराये जाने की अनुमति दे सकेगी। इसी प्रकार कोई साक्षी समिति के समक्ष अपने द्वारा नियुक्त तथा समिति द्वारा अनुमोदित अधिवक्ता के साथ उपस्थित हो सकेगा।

213 साक्षियों की जांच की प्रक्रिया

213- व्‍यक्तियों की जांच की प्रक्रिया - समिति के सामने व्‍यक्तियों की जांच निम्न प्रकार से की जायेगी:-

(1) समिति किसी व्‍यक्ति को जांच के लिये बुलाये जाने से पूर्व उस प्रक्रिया की रीति को तथा ऐसे प्रश्नों के स्वरूप को विनिश्चित करेगी जो व्‍यक्ति से पूछे जा सकें।

(2) समिति के सभापति इस नियम के उप-नियम (1) में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार व्‍यक्ति से पहले ऐसा प्रश्न या ऐसे प्रश्न पूछ सकेंगे जो विचाराधीन विषय या तत्सम्बन्धी किसी विषय के सम्बन्ध में आवश्यक समझें।

(3) सभापति समिति के अन्य सदस्यों को एक-एक करके कोई अन्य प्रश्न पूछने के लिये कह सकेंगे।

(4) व्‍यक्ति को समिति के सामने कोई ऐसी अन्य संगत बात रखने को कहा जा सकेगा जो पहले न आ चुका हो और जिन्हें व्‍यक्ति समिति के सामने रखना आवश्यक समझता हो।

(5) जब किसी व्‍यक्ति को साक्ष्य देने के लिये आहूत किया जाय तो समिति की कार्यवाही का शब्दशः अभिलेख रखा जायेगा।

(6) समिति के सामने दिया गया साक्ष्य समिति के सभी सदस्यों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।

214 समिति के प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर

214- समिति के प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर - समिति के प्रतिवेदन पर समिति की ओर से सभापति द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे।

परन्तु यह कि यदि सभापति अनुपस्थित हों या सुगमतया न मिल सकते हों तो समिति की ओर से प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने के लिये समिति कोई अन्य सदस्य चुनेगी।

215 उपस्थापन के पूर्व प्रतिवेदन का शासन को उपलब्ध किया जाना

215- उपस्थापन के पूर्व प्रतिवेदन का शासन को उपलब्ध कराया जाना - समिति, यदि वह ठीक समझे, तो वह अपने प्रतिवेदन की प्रतिलिपि को या प्रतिवेदन के किसी अंश को जिसे पूरा कर लिया गया हो, सदन में उपस्थापित करने से पहले शासन को उपलब्ध करा सकेगी। ऐसे प्रतिवेदन जब तक सदन में उपस्थापित नहीं कर दिये जायेंगे तब तक गोपनीय समझे जायेंगे।

216 प्रतिवेदन का उपस्थापन

216- प्रतिवेदन का उपस्थापन - (1) समिति का प्रतिवेदन समिति के सभापति द्वारा या उस सदस्‍य द्वारा जिसने प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर किये हों या समिति के किसी अन्य सदस्य द्वारा जो सभापति द्वारा इस प्रकार प्राधिकृत किये गये हों या सभापति की अनुपस्थिति में या जब वह प्रतिवेदन उपस्थित करने में असमर्थ हो तो समिति द्वारा प्राधिकृत किसी सदस्य द्वारा उपस्थापित किया जायेगा और सदन के पटल पर रख दिया जायेगा।

(2) प्रतिवेदन उपस्थित करने में सभापति या उसकी अनुपस्थिति में प्रतिवेदन उपस्थित करने वाले सदस्य यदि कोई अभ्युक्ति करें तो अपने आपको तथ्य के संक्षिप्त कथन तक सीमित रखेंगे या समिति द्वारा की गयी सिफारिशों की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट करेंगे।

(3) सम्बन्धित मंत्री या कोई मंत्री उसी दिन या किसी भावी दिनांक को जब तक के लिये वह विषय स्थगित किया गया है सरकारी दृष्टिकोण और शासन द्वारा किये जाने वाले प्रस्तावित कार्य की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त उत्तर दे सकेंगे।

(4) प्रतिवेदन उपस्थित किये जाने के उपरान्त किन्तु उपस्थिति की तिथि से 15 दिन के भीतर मांग किये जाने पर अध्यक्ष यदि उचित समझें तो उस प्रतिवेदन पर विचार के लिये समय नियत करेंगे। सदन के समक्ष न कोई औपचारिक प्रस्ताव होगा और न मत लिये जायेंगे।

217 सदन में उपस्थापन से पूर्व प्रतिवेदन का प्रकाशन या परिचालन

217- सदन में उपस्थापन से पूर्व प्रतिवेदन का प्रकाशन या परिचालन - जब सदन सत्र में न हो तो अध्यक्ष, अनुरोध किये जाने पर समिति के प्रतिवेदन के प्रकाशन या परिचालन का आदेश दे सकेंगे यद्यपि वह सदन में उपस्थापित न किया गया हो। ऐसी अवस्था में प्रतिवेदन आगामी सत्र में प्रथम सुविधाजनक अवसर पर उपस्थापित किया जायेगा।

218 प्रक्रिया के सम्बन्ध में सुझाव देने की शक्ति

218- प्रक्रिया के सम्बन्ध में सुझाव देने की शक्ति - (1) किसी समिति को उस समिति से संबंधित प्रक्रिया के विषयों पर अध्‍यक्ष के विचारार्थ संकल्‍प पारित करने की शक्ति होगी जो प्रक्रिया में ऐसे परिवर्तन कर सकेगा जिन्‍हें अध्‍यक्ष द्वारा आवश्‍यक समझा जाय।

(2) कोई समिति अध्‍यक्ष के अनुमोदन से इस अध्‍याय के नियमों में निहित उपबन्‍धों को क्रियान्वित करने के लिये प्रक्रिया से संबंधित विस्‍तृत नियम बना सकेगी।

219 प्रक्रिया के विषय में या अन्य विषय में निदेश देने की अध्यक्ष की शक्ति

219- प्रक्रिया के विषय में या अन्य विषय में निदेश देने की अध्यक्ष की शक्ति - (1) अध्यक्ष समय-समय पर समिति के सभापति को ऐसे निदेश दे सकेंगे जिन्हें वे उसकी प्रक्रिया और कार्य के संगठन के विनियमन के लिये आवश्यक समझें।

(2) यदि प्रक्रिया के विषय में या अन्य किसी विषय में कोई संदेह उत्पन्न हो तो सभापति यदि ठीक समझे तो उस विषय को अध्यक्ष को संदर्भित कर देंगे जिनका विनिश्चय अन्तिम होगा।

220 समिति का असमाप्त कार्य

220- समिति का असमाप्त कार्य - जहाँ समिति अपनी अवधि की समाप्ति से पूर्व, अथवा सदन के विघटन से पूर्व, अपना कार्य पूर्ण न कर सकी हो, वहाँ नयी समिति उस कार्य को उस अवस्था से प्रारम्भ कर सकेगी जिस अवस्था में पूर्ववर्ती समिति ने उसे छोड़ा था।

221 प्रमुख सचिव, समितियों का पदेन प्रमुख सचिव होगा

221- प्रमुख सचिव समितियों का पदेन प्रमुख सचिव होगा - प्रमुख सचिव इन नियमों के अन्तर्गत नियुक्त समस्त समितियों के पदेन प्रमुख सचिव होंगे।

222 समितियों के सामान्य नियमों की प्रवृत्ति

222- समितियों के सामान्य नियमों की प्रवृत्ति - उन विषयों को छोड़कर जिनके लिये किसी विशेष समिति के संबंधित नियमों में विशेष उपबन्‍ध किया जाये, इस अध्‍याय के सामान्‍य नियम सभी समितियों पर लागू होंगें। जहाँ तक किसी समिति से संबंधित विशिष्‍ट नियमों में कोई उपबन्‍ध सामान्‍य नियमों से असंगत हो तो पूर्वोक्‍त विशेष नियम लागू होंगें।

समितियों की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावलियाँ

क्रं सं नाम दस्तावेज
1 प्राक्कलन समिति की आन्तरिक कार्य-प्रणाली के नियम
2 प्रतिनिहित विधायन समिति की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावली
3 याचिका समिति की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावली
4 सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति की आन्तरिक कार्य-प्रणाली के नियम
5 महिला एवं बाल विकास सम्बन्धी संयुक्त समिति की आन्तरिक कार्य-प्रणाली के नियम
6 विशेषाधिकार समिति की आन्तरिक कार्य-प्रणाली नियमावली
7 सरकारी आश्वासन संबंधी समिति की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावली
8 संसदीय अनुश्रवण समिति की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावली
9 प्रश्न एवं संदर्भ समिति की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावली
10 पंचायती राज समिति की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावली
11 अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों सम्बन्धी संयुक्त समिति की आन्तरिक कार्य-संचालन नियमावली

विधानसभा की वर्तमान समितियां

Sr No Samiti Name Sabhapati Name Mobile Number Person Name Person Mobile No
1 प्राक्कलन समिति श्री अमित अग्रवाल 0000000000 श्री हरीश चन्‍द्र 9945782565
श्री साकेन्द्र प्रताप वर्मा 9946782526
2 लोक लेखा समिति श्री महबूब अली 0000000000 - -
3 प्रतिनिहित विधायन समिति श्री विपिन कुमार डेविड 0000000000 - -
4 याचिका समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
5 विशेषाधिकार समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
6 सरकारी आश्वासन संबंधी समिति डॉ. अजय कुमार 0000000000 - -
7 प्रश्न एवं संदर्भ समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
8 नियम समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
9 कार्य मंत्रणा समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
10 आचार समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
11 प्रदेश के स्थानीय निकायों के लेखा-परीक्षा प्रतिवेदनों की जाँच सम्बन्धी समिति श्री मनीष असीजा 0000000000 - -
12 विधान पुस्तकालय समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
13 संसदीय शोध संदर्भ एवं अध्ययन समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
14 पंचायती राज समिति श्री लोकेन्द्र प्रताप सिंह 0000000000 - -
15 संसदीय अनुश्रवण समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
16 अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों सम्बन्धी संयुक्त समिति श्री श्रीराम चौहान 0000000000 - -
17 सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति मेजर सुनील दत्त द्विवेदी 0000000000 - -
18 आवास संबंधी संयुक्त समिति माननीय अध्यक्ष 0000000000 - -
19 महिला एवं बाल विकास सम्बन्धी संयुक्त समिति श्रीमती नीलिमा कटियार 0000000000 - -

समितियों का विवरण

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